×

First Festival of Chhattisgarh: हरेली पर्व छत्तीसगढ़ की समृद्धि और हरियाली का उत्सव।

First Festival of Chhattisgarh: हरेली पर्व छत्तीसगढ़ की समृद्धि और हरियाली का उत्सव।

First Festival of Chhattisgarh: हरेली पर्व छत्तीसगढ़ की समृद्धि और हरियाली का उत्सव।

छत्तीसगढ़ का हरेली पर्व एक महत्वपूर्ण और प्रिय त्यौहार है, जो मुख्यतः खेती-किसानी और हरियाली से जुड़ा हुआ है। यह पर्व सावन महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है और इस दिन किसान अपने कृषि औजारों और पशुओं की पूजा करते हैं। यह पर्व उनकी समृद्धि और हरियाली की कामना के लिए मनाया जाता है। हरेली पर्व छत्तीसगढ़ की समृद्धि और हरियाली का उत्सव।

 हरेली का महत्व और उत्पत्ति

हरेली पर्व का इतिहास बहुत पुराना है और यह छत्तीसगढ़ के आदिवासी और ग्रामीण समुदायों के बीच विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह पर्व खेती और हरियाली के प्रति उनके प्रेम और आदर को दर्शाता है। इस दिन किसान अपने खेतों में काम करने वाले औजारों और अपने पशुधन की पूजा करते हैं। यह त्योहार मुख्यतः खेती-किसानी और हरियाली से जुड़े होने के कारण प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक माध्यम है।

First Festival of Chhattisgarh: हरेली पर्व छत्तीसगढ़ की समृद्धि और हरियाली का उत्सव।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

हरेली तिहार का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है। इस दिन नीम के पत्ते घर के दरवाजों पर बांधे जाते हैं, जो वातावरण को शुद्ध करते हैं और बुरी शक्तियों से बचाते हैं। यह प्राचीन परंपरा न केवल धार्मिक है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।

First Festival of Chhattisgarh: हरेली पर्व छत्तीसगढ़ की समृद्धि और हरियाली का उत्सव।

 हरेली पर्व कैसे मनाया जाता है?

हरेली पर्व के दिन कई पारंपरिक गतिविधियाँ और अनुष्ठान होते हैं। ये गतिविधियाँ मुख्यतः खेती और हरियाली के इर्द-गिर्द घूमती हैं:

1. कृषि औजारों की पूजा : इस दिन किसान अपने हल, कुदाल, फावड़ा, हसिया आदि औजारों की सफाई करके उनकी पूजा करते हैं। यह उनके लिए सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक होता है।

2. पशुधन की पूजा : किसान अपने गाय, बैल, भैंस आदि पशुधन की भी पूजा करते हैं और उन्हें बीमारियों से बचाने के लिए बगरदा नामक औषधि खिलाते हैं।

3. देवताओं की पूजा : इस दिन कुल देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और अच्छी फसल की कामना की जाती है।

4. खेल-कूद : गाँवों में गेड़ी, गिल्ली-डंडा और अन्य पारंपरिक खेल खेले जाते हैं।

5. पारंपरिक व्यंजन : हरेली के दिन गुड़ का चीला, फरा, खुरमी, अरसा आदि पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाए जाते हैं।

6. अनुष्ठान : घरों और मोहल्लों को बुरी शक्तियों से बचाने के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं।

मुख्यमंत्री निवास में हरेली पर्व

हरेली पर्व के दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री निवास में भी विशेष आयोजन होते हैं। मुख्यमंत्री अपने परिवार के साथ पशुधन और कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं और किसानों को कृषि उपकरण वितरित करते हैं। मुख्यमंत्री निवास को छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुसार सजाया जाता है और यहाँ पर मड़ई मेला जैसा माहौल होता है।

मुख्यमंत्री निवास में हरेली के दिन गेड़ी चढ़ने, गिल्ली-डंडा, बिट्ठल-भौरा जैसे पारंपरिक खेल खेले जाते हैं। यहाँ पर छत्तीसगढ़ी पकवान जैसे चीला, खुरमी आदि का स्वाद लिया जाता है और लोक संस्कृति से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। राउत नाचा, कर्मा नृत्य आदि छत्तीसगढ़ के परंपरागत नृत्यों की प्रस्तुतियाँ भी होती हैं।

First Festival of Chhattisgarh: हरेली पर्व छत्तीसगढ़ की समृद्धि और हरियाली का उत्सव।

हरेली पर्व का सांस्कृतिक महत्व

हरेली पर्व केवल एक धार्मिक या कृषि पर्व नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है। यह पर्व लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ता है और उन्हें प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है। इस पर्व के माध्यम से लोग अपनी परंपराओं को जीवित रखते हैं और आने वाली पीढ़ियों को भी उनसे जोड़ते हैं।

First Festival of Chhattisgarh: हरेली पर्व छत्तीसगढ़ की समृद्धि और हरियाली का उत्सव।

 हरेली पर्व और पर्यावरण संरक्षण

हरेली पर्व का एक महत्वपूर्ण पहलू पर्यावरण संरक्षण भी है। इस पर्व के दौरान पेड़-पौधों की पूजा की जाती है और लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि हमारी समृद्धि और खुशहाली सीधे-सीधे हमारी धरती और उसकी हरियाली से जुड़ी है।

हरेली पर्व छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो खेती, हरियाली और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है। यह पर्व न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और समुदाय के विकास के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी रेखांकित करता है। छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए हरेली पर्व केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि उनके जीवन और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।

 हरेली तिहार 2024: छत्तीसगढ़ में मनाया जा रहा है हरेली तिहार

हरेली तिहार 2024 के मौके पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री निवास में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उनके परिवार ने पशुधन और कृषि उपकरणों की पूजा की और किसानों को कृषि उपकरण वितरित किए। मुख्यमंत्री निवास को छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुसार सजाया गया और यहाँ पर मड़ई मेला जैसा माहौल था।

इस पर्व के दौरान मुख्यमंत्री ने गेड़ी चढ़ी और गिल्ली-डंडा, बिट्ठल-भौरा जैसे पारंपरिक खेल खेले। छत्तीसगढ़ी पकवान जैसे चीला, खुरमी आदि का स्वाद लिया और लोक संस्कृति से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। राउत नाचा, कर्मा नृत्य आदि छत्तीसगढ़ के परंपरागत नृत्यों की प्रस्तुतियाँ भी हुईं।

छत्तीसगढ़ के लोगों ने पूरे प्रदेश में हरेली तिहार बड़े ही धूमधाम से मनाया। इस पर्व के माध्यम से लोगों ने प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की और अच्छी फसल की कामना की। हरेली तिहार 2024 ने छत्तीसगढ़ के लोगों को एक बार फिर से उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्रकृति के महत्व की याद दिलाई।

उत्सव का समापन

हरेली तिहार के समापन के बाद लोग आने वाले अन्य कृषि पर्वों की तैयारी में लग जाते हैं। यह त्योहार छत्तीसगढ़ की समृद्ध कृषि परंपरा का प्रतीक है और राज्य के हर कोने में इसे बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

हमारी (akhbarwalla.com) की तरफ से आप सभी पाठको को एवं छत्तीसगढ़ के सभी लोगों को हरेली तिहार की हार्दिक शुभकामनाएँ!


 हरेली तिहार से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: हरेली तिहार कब मनाया जाता है?
उत्तर: हरेली तिहार सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है।

प्रश्न 2: हरेली तिहार का महत्त्व क्या है?
उत्तर: हरेली तिहार का महत्त्व खेती-बाड़ी, हरियाली, और पर्यावरण से जुड़ा हुआ है। इस दिन किसान अपने कृषि उपकरणों और पशुओं की पूजा करते हैं और अच्छी फसल की कामना करते हैं।

प्रश्न 3: हरेली तिहार के दौरान कौन-कौन सी परंपराएँ निभाई जाती हैं?
उत्तर: हरेली तिहार के दौरान कृषि उपकरणों की पूजा, पशुओं की देखभाल, देवी-देवताओं की पूजा, पारंपरिक खेलकूद, और खास छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का निर्माण जैसी परंपराएँ निभाई जाती हैं।

प्रश्न 4: हरेली तिहार के दिन नीम के पत्ते क्यों बांधे जाते हैं?
उत्तर: हरेली तिहार के दिन नीम के पत्ते घर के दरवाजों पर बांधे जाते हैं क्योंकि यह वातावरण को शुद्ध करते हैं और बुरी शक्तियों से बचाते हैं। यह परंपरा स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।

प्रश्न 5: हरेली तिहार का वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या है?
उत्तर: हरेली तिहार का वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि नीम के पत्ते जीवाणु नाशक होते हैं और वातावरण को शुद्ध करते हैं। इससे बुरी शक्तियों से बचाव होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

प्रश्न 6: हरेली तिहार के प्रमुख व्यंजन कौन से हैं?
उत्तर: हरेली तिहार के प्रमुख व्यंजन गुड़ का चीला, गुलगुल भजिया और अन्य छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजन हैं।

प्रश्न 7: हरेली तिहार का सांस्कृतिक महत्त्व क्या है?
उत्तर: हरेली तिहार का सांस्कृतिक महत्त्व यह है कि इस दिन राउत नाचा, कर्मा नृत्य और लोक गीतों की प्रस्तुतियाँ होती हैं। यह पर्व लोगों को एक दूसरे के करीब लाता है और सामाजिक सद्भावना को बढ़ावा देता है।

प्रश्न 8: हरेली तिहार का छत्तीसगढ़ की कृषि परंपरा से क्या संबंध है?
उत्तर: हरेली तिहार छत्तीसगढ़ की कृषि परंपरा का प्रतीक है। यह पर्व किसानों के लिए विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि वे इस दिन अपने कृषि उपकरणों और पशुओं की पूजा करते हैं और अच्छी फसल की कामना करते हैं।

प्रश्न 9: हरेली तिहार में खेलकूद की कौन-कौन सी गतिविधियाँ होती हैं?
उत्तर: हरेली तिहार में गेड़ी चढ़ना, गिल्ली-डंडा और अन्य पारंपरिक खेल खेले जाते हैं। यह दिन खेलकूद और मनोरंजन के लिए महत्वपूर्ण होता है।

प्रश्न 10: रायगढ़ के कोसा का हरेली तिहार में क्या महत्त्व है?
उत्तर: रायगढ़ का कोसा छत्तीसगढ़ की एक प्रसिद्ध वस्त्र है, जो हरेली तिहार के दौरान विशेष महत्त्व रखता है। लोग इस दिन कोसा की पोशाक पहनते हैं, जिससे इस त्योहार की शोभा और बढ़ जाती है।

Post Comment

You May Have Missed