
सीजीपीएससी भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच शुरू: क्या सच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा?
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सीजीपीएससी भर्ती घोटाला: सीबीआई जांच शुरू
।छत्तीसगढ़ पीएससी (CGPSC) भर्ती केस की सीबीआई जांच आखिरकार शुरू हो गई है। इस केस में कई उच्च अधिकारियों पर आरोप हैं और इसकी गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने सीबीआई को जांच सौंपने का निर्णय लिया है। सीबीआई की ओर से जारी प्रेस नोट के मुताबिक तत्कालीन चेयरमैन डावन सिंह सोनवानी, सचिव जीवन किशोर ध्रुव और परीक्षा नियंत्रक के सरकारी निवास में सर्चिंग की गई है। साल 2020 से 2022 तक हुई डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी की परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायतें की गई थीं, जिन्हें अब जांच के दायरे में लाया गया है।
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घोटाले की पृष्ठभूमि
इस घोटाले की शुरुआत तब हुई जब परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायतें सामने आईं। शिकायत के आधार पर राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए सीबीआई को सौंपा। प्रारंभिक जांच में यह आरोप लगाया गया कि तत्कालीन चेयरमैन और सचिव ने अपने रिश्तेदारों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाकर डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी पदों पर चयनित किया।ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) द्वारा इस घोटाले की शिकायत दर्ज की गई थी, जिसके आधार पर राज्य सरकार ने यह मामला सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई ने तत्परता दिखाते हुए जांच शुरू की और संबंधित अधिकारियों के सरकारी निवास पर सर्चिंग की।
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विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की प्रतिक्रियाएं
इस मामले पर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने बयान दिए।
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि “सीजीपीएससी का मामला स्पष्ट है और प्रदेश के युवाओं में इसको लेकर आक्रोश था। उच्च स्तरीय जांच से प्रदेश के सभी युवाओं की शंकाएं दूर होंगी।”
वहीं, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने कहा कि “कांग्रेस ने जांच का कभी विरोध नहीं किया और जांच के बाद पूरा सच सामने आ जाएगा।”
यह तो बड़ी अच्छी बात है कि दोनों पक्ष अपने पर डटे हुए हैं यानी विपक्ष कह रहा है कि हमने कभी सीबीआई जांच का विरोध नहीं किया है और जांच होगी तो सच सामने आ जाएगा और सत्ता पक्ष भी यही कह रहा है।
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जांच की प्रगति
सीबीआई की जांच प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इस मामले में कई महत्वपूर्ण साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। सीबीआई द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार, तत्कालीन चेयरमैन और सचिव पर अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने का आरोप है। इस जांच के परिणामस्वरूप दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, यानी सच सबके सामने आ जाएगा।
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जांच की मांग और युवाओं की प्रतिक्रिया
प्रदेश के युवाओं ने इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी। उनकी मांग थी कि इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच हो, जिससे सही और गलत का पता चल सके। युवाओं का मानना है कि इस घोटाले से उनकी भविष्य की संभावनाएं प्रभावित हो रही हैं और सही तथ्यों के सामने आने से उन्हें न्याय मिलेगा।
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युवाओं की उम्मीदें
छत्तीसगढ़ के युवाओं में इस मामले को लेकर भारी रोष था। जो युवा इन परीक्षाओं में शामिल हुए थे, वे अपनी मेहनत और भविष्य को लेकर चिंतित थे। कई युवा यह मानते हैं कि इस घोटाले ने उनके भविष्य को दांव पर लगा दिया है। उच्च स्तरीय जांच की मांग उठ रही थी और अब जब सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है, तो युवाओं में एक नई उम्मीद जगी है कि सच सामने आएगा और उन्हें न्याय मिलेगा।
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जांच की संभावित दिशा
जांच के दौरान कई पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा, जैसे कि:
- भर्ती प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों की भूमिका
- चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी
- उम्मीदवारों के अंक और मेरिट सूची की सत्यता
- शिकायतकर्ताओं के आरोपों की पुष्टि
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सरकार और विपक्ष की भूमिका
इस मामले में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सत्ता पक्ष ने इस घोटाले की जांच के लिए सीबीआई को अनुरोध भेजा, जबकि विपक्ष ने इस जांच का समर्थन किया। दोनों पक्षों का मानना है कि जांच के बाद ही सही तथ्यों का पता चल सकेगा और दोषियों को सजा मिल सकेगी।
सीजीपीएससी भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच शुरू होने से प्रदेश में एक नई उम्मीद जगी है।
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छत्तीसगढ़ पीएससी भर्ती केस का सच सामने आने की उम्मीद
सीजीपीएससी भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच ने राज्य में एक नई दिशा प्रदान की है। यह जांच न केवल घोटाले की परतें खोलने का काम करेगी, बल्कि प्रदेश के युवाओं के मन में उठ रही शंकाओं को भी दूर करेगी। दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों का इस मामले में एक मत होना और जांच का समर्थन करना एक सकारात्मक संकेत है।
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सीबीआई की जांच से क्या निष्कर्ष सामने आते हैं और क्या सच में दोषियों को सजा मिल पाती है। इस घोटाले ने प्रदेश के युवाओं का भविष्य दांव पर लगा दिया है और अब उन्हें न्याय की उम्मीद है।
सीबीआई की जांच के निष्कर्ष आने के बाद ही पता चलेगा कि इस घोटाले में किस-किस की भूमिका थी और कौन-कौन दोषी हैं। उम्मीद है कि निष्पक्ष और सत्यता पर आधारित जांच से प्रदेश के युवाओं को न्याय मिलेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी।
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