भारत के जयशंकर ने UNGA में पाकिस्तान की “आतंक नीति” का किया पर्दाफाश।
79वें संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भारत के विदेश मंत्री, एस. जयशंकर ने पाकिस्तान की लंबे समय से चली आ रही सीमा पार आतंकवाद नीति के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट और सरल लहजे में बताया कि ऐसी नीतियों का न केवल भारत पर, बल्कि पाकिस्तान और दुनिया पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है।
भाषण का संदर्भ
UNGA एक महत्वपूर्ण मंच है जहां देश महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इस साल, महासभा का विषय “कोई पीछे न छूटे” रखा गया है, जो सभी के लिए एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत को बताता है। लेकिन जयशंकर ने इस विषय के बीच पाकिस्तान जैसे देशों की कठिनाइयों की ओर इशारा किया, जिसने हिंसा और अस्थिरता का रास्ता चुना है।
महामारी का प्रभाव
जयशंकर का संबोधन उस समय हुआ जब दुनिया अभी भी COVID-19 महामारी के परिणामों से जूझ रही है। कई देश, खासकर विकासशील देशों ने ऐसे कारणों से गंभीर समस्याओं का सामना किया है जो उनके नियंत्रण से बाहर हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि कुछ देश, जैसे पाकिस्तान, ने जानबूझकर ऐसे फैसले किए हैं जिनका नतीजा बुरा निकला। यह स्पष्ट है: जब बाहरी कारण किसी की प्रगति को रोक सकते हैं, तो आंतरिक फैसले और भी कठिनाइयाँ बढ़ा सकते हैं, खासकर जब वे कट्टरता को बढ़ावा देते हैं।
पाकिस्तान की नीतियों का विश्लेषण
जयशंकर ने यह स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की सीमा पार आतंकवाद नीति कभी सफल नहीं होगी। उन्होंने कहा, “इसकी कोई उम्मीद नहीं हो सकती।” यह बयान भारतीय-पाक रिश्तों के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है। 1947 में विभाजन के बाद से, पाकिस्तान अक्सर आतंकवाद का सहारा लेता रहा है, जिससे कई संघर्ष और क्षेत्र में तनाव बढ़ा है।
पाकिस्तान का यह तरीका न केवल इसकी खुद की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बिगाड़ता है, बल्कि पड़ोसी देशों को भी प्रभावित करता है। जयशंकर ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के समाज में कट्टरता इस नीति का मुख्य निर्यात है। उन्होंने कहा, “इसकी GDP केवल कट्टरता के रूप में मापी जा सकती है और इसका निर्यात आतंकवाद के रूप में होता है,” यह बताते हुए कि ऐसी नीतियों की आर्थिक लागत गंभीर होती है।
वैश्विक प्रभाव
जयशंकर ने अपने भाषण में बताया कि आतंकवाद, नशीली दवाओं की तस्करी और अंतरराष्ट्रीय अपराध एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। यह दिखाता है कि आतंकवाद का असर तुरंत होने वाली हिंसा से कहीं ज्यादा होता है। इन अवैध गतिविधियों का आपस में जुड़ना एक वैश्विक खतरा है, जिसे सभी देशों को मिलकर हल करना चाहिए।
इसके अलावा, जयशंकर के बयानों का संदर्भ मौजूदा वैश्विक संकटों के बीच में है, जैसे गाज़ा का संघर्ष और यूक्रेन में युद्ध। ये घटनाएँ दिखाती हैं कि अंतरराष्ट्रीय संबंध कितने नाजुक हैं और देशों को शांति और स्थिरता पर ध्यान देना चाहिए।
भविष्य की संभावनाएँ
जयशंकर के भाषण के आगे के नतीजे महत्वपूर्ण हैं। जैसे-जैसे देश नई चुनौतियों के अनुसार अपनी विदेश नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करते हैं, जवाबदेही और जिम्मेदार शासन की मांग और बढ़ गई है। जयशंकर की यह बात कि “कार्य निश्चित रूप से परिणाम देंगे” यह बताती है कि भारत पाकिस्तान की नकारात्मक नीतियों का मुकाबला करने के लिए और कदम उठा सकता है।
अधिक महत्वपूर्ण यह है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया पाकिस्तान की नीतियों के प्रति महत्वपूर्ण होगी। वे देश जो हमेशा से पाकिस्तान का समर्थन करते आए हैं, उन्हें अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है, खासकर जब आतंकवाद का असर सीमाओं को पार करता है और वैश्विक शांति और सुरक्षा को प्रभावित करता है।
निष्कर्ष
जयशंकर का UNGA में दिया गया भाषण केवल पाकिस्तान की नीतियों की आलोचना नहीं था; यह आतंकवाद और कट्टरता के खिलाफ एकजुट होने की अपील थी। जैसे-जैसे भारत क्षेत्र में शांति और स्थिरता की वकालत करता है, उसे उन चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए जो पड़ोसी हिंसा और चरमपंथ का सहारा लेते हैं।
आगे का रास्ता चुनौतीपूर्ण है, लेकिन मजबूत कूटनीतिक भागीदारी और साझा मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक ऐसे भविष्य की दिशा में काम कर सकता है जहां कोई भी पीछे न छूटे, जैसा कि UNGA के विषय में बताया गया है। इस दृष्टिकोण में, जयशंकर के शब्द एक चेतावनी और एक मार्गदर्शक सिद्धांत दोनों के रूप में काम करते हैं, जो देशों को एक जटिल और तेजी से अस्थिर होते वैश्विक शासन के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करते हैं।
आपका हमारे लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद। हम आशा करते हैं कि यह जानकारी आपको पाकिस्तान की आतंक नीति और भारत के दृष्टिकण को समझने में मदद करेगी। अधिक ऐसे लेखों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें। अधिक जानकारी के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट akhbarwalla.com पर जाएँ।
प्रश्न और उत्तर
- सवाल: एस. जयशंकर ने UNGA में किस विषय पर भाषण दिया?
- उत्तर: उन्होंने पाकिस्तान की सीमा पार आतंकवाद नीति पर अपने विचार व्यक्त किए।
- सवाल: जयशंकर ने पाकिस्तान की नीतियों को लेकर क्या कहा?
- उत्तर: उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की आतंकवाद नीति कभी सफल नहीं होगी और इसे जवाबदेही का सामना करना पड़ेगा।
- सवाल: क्या जयशंकर ने महामारी के प्रभाव पर बात की?
- उत्तर: हाँ, उन्होंने कहा कि दुनिया अभी भी COVID-19 महामारी के परिणामों से जूझ रही है और कई देशों को इसके कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
- सवाल: पाकिस्तान की आतंक नीति का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा है?
- उत्तर: इस नीति ने भारत के साथ संघर्ष को बढ़ाया है और क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित किया है।
- सवाल: जयशंकर ने आतंकवाद के साथ किन अन्य मुद्दों का जिक्र किया?
- उत्तर: उन्होंने नशीली दवाओं की तस्करी और अंतरराष्ट्रीय अपराध का भी जिक्र किया, जो आतंकवाद से जुड़े हैं।
- सवाल: UNGA में इस साल का विषय क्या था?
- उत्तर: इस साल का विषय “कोई पीछे न छूटे” था।
- सवाल: क्या जयशंकर ने पाकिस्तान के समाज में कट्टरता का उल्लेख किया?
- उत्तर: हाँ, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की GDP कट्टरता के रूप में मापी जा सकती है।
- सवाल: भविष्य में भारत का क्या कदम हो सकता है?
- उत्तर: भारत पाकिस्तान की नकारात्मक नीतियों का मुकाबला करने के लिए और कूटनीतिक कदम उठा सकता है।
- सवाल: क्या जयशंकर के बयान का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव है?
- उत्तर: हाँ, उनके बयान से अन्य देशों को पाकिस्तान की नीतियों पर विचार करने की आवश्यकता है।
- सवाल: इस लेख का मुख्य संदेश क्या है?
- उत्तर: लेख का मुख्य संदेश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना और जिम्मेदार शासन की आवश्यकता को समझाना है।
Post Comment